क्युं खोएं खोएं चांद की फ़िराक मे तलाश मे उदास है दिल

काल इथे दिसणा-या एकमेव मराठी चॅनलवर (मी मराठी) स्वानंद किरकिरेची मुलाखत लागली, मी टी.व्ही. बंद करुन टाकणार होते पण मुलाखत घेणा-यानी कवि,गायक, लेखक अशी ओळख करुन दिल्यावर म्हणल बघु या आहे कोण हा माणूस. आणि बघत म्हणण्यापेक्षा ऐकत राहिले नुसतीच. हि मुलाखत बघेपर्यंत स्वानंद किरकिरे कोण आहे ? मला अजिबात माहिती नव्हतं.
मग मुलाखत संपल्यावर नेट वर शोधत गेले आणि याची एकाहून एक उच्च अशी गाणि सापडत गेली. येऊ घातलेल्या खोया खोया चांद या सिनेमामधलं हे एक अतिशय आवडावच असं गाणं. माझ्यासाठी तरी आता हा सिनेमा कसा असेल? त्याला काहि कथानक असेल का? वगैरे गौण बाबी आहेत. या गाण्यासाठीतरी हा सिनेमा बघायचाच आहे.
गुलजारनंतर आवडणा-या गीतकारामधे स्वानंद किरकिरे नाव कधीच ऍड झालंय हे वेगळ सांगायला नकोच.


आज शब जो चांद ने है रुठने की ठान ली
गर्दिशोमें है सितारे बात हमने मान ली
अंधेरी स्याह जिंदगी को सुझती थी नहि गली
के आज हाथ थाम लो की के हाथ की कमी खली
क्युं खोएं खोएं चांद की फिराक मे तलाश मे उदास है दिल्
क्युं अपने आप से खफा खफा ज़रा ज़रा सा नाराज़ है दिल
ये मंज़िले भी खुद हि तय करें, ये फासलें भी खुद हि तय करें
क्युं तो रास्तों पे फिर सहेम् सहेम् संभल संभल के चलता है ये दिल
क्युं खोएं खोएं चांद की फिराक मे तलाश मे उदास है दिल

ज़िंदगी सवालोंके जवाब ढुंडने चली ,
जवाब में सवालों कि एक लंबी सी लडी मिली
सवाल हि सवाल है सुझती नही गली,
कि आज हाथ थाम लो एक हाथ कि कमि खली
जी मे आता है,
मुर्दा सितारा नोच लू,इधर भी नोच लू
एक दो का जिकर किया मै सारे नोच लू
इधर भी नोच लू, उधर भी नोच लू
सितारे नोच लू , नज़ारे नोच लू
क्युं तू आज इतना वहेशी है, मिजाज़ मे मजाज़ है, ऐ गम-ए-दिल
क्युं अपने आप से खफा खफा, ज़रा ज़रा सा नाराज़ है दिल
ये मंजीले भी खुद हि तय करें, ये फासले भी खुद हि तय करे
क्युं तो रास्तों पे फिर सहेम् सहेम् संभल संभल के चलता है ये दिल

दिल को समझाना केह दो क्या आसान है?
दिल तो फ़ितरत से सुन लो ना बेइमान है
ये खुश नहि है जो मिला, बस मांगता हि है चला
जानता है हर लगि का दर्द हि है बस एक सिला
जब कभि ये दिल लगा, दर्द हि हमे मिला,
दिल कि हर लगि का सुनलो दर्द हि है एक सिला
क्युं नये नये से दर्द कि फ़िराक मे तलाश मे उदास है दिल
क्युं अपने आप से खफ़ा खफ़ा ज़रा ज़रा सा नाराज है दिल
ये मंजीले भी खुद हि तय करे, ये फासले भी खुद हि तय करे
क्युं तो रास्तों पे फिर सहेम् सहेम् संभल संभल के चलता है ये दिल

क्युं खोए खोए चांद कि फिराक मे तलाश मे उदास है दिल
क्युं अपने आप से खफ़ा खफ़ा ज़रा ज़रा सा नाराज़ है दिल

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